संत शिरोमणि रविदास जी के अनेक चमत्कार देखने को मिले । मैया गंगा जी को हथोहाथ फूलमाला देते थे, गंगा मैया इन्हे प्रसाद भी इसी तरह मैया देती थी। एक दिन रविदास जी गंगा पुजा को जा नहीं सके इस लिए अन्य संत मित्रो के साथ पुजा का समान भेजा और मैया को हथोहाथ देने को कहा - यदि गंगा मैया नहीं आए तो फूलमाला और सामग्री वापस लाने को सूचना दी। मैया बाहर आई और फूलमाला लेने अपनी भुजाए लंबी की, इनके मित्रा ने फूलमाला गंगा मैया को हाथोहाथ दे दिया । मैया ने रविदास के लिए प्रसाद इनके मित्रा को दिया और बाते की रविदास जी को दे देना । मित्रा ने देखा तो वह दंग रह गया । उसकी मर्जी मे खोट आई । इसने रविदास को कहा मैया ने कुछ नहीं दिया । हकीकत मे मैया ने सोने की कंगन प्रसाद मे दोया था किन्तु लोभ वश वह कंगन इनाम पाने के लिए राजा जी को देता है । राजा जी ने कहा दूसरी कंगन लाओ नहीं तो आपकी शिर कलाम की जाएगी । डर के रविदास जी के पास आया और बात बताई । रविदास ने कहा की मेरे पास कोई कंगन नहीं है । वह सुनकर राजा के पास वापस चला गया। राजा ने रविदास जी के पास जाकर कहा की आप हमे एसी कंगन मैया से ला दीजिये। रविदास जी ने राजा की बात मान ली और मैया से प्रार्थना की मैया ने दूसरी कंगन रविदास जी को दिया । इसे प्रभावित होकर राजा ने रविदास का राज दरबार मे सम्मान किया । मित्रो संत रविदास जी की जन्म जयंती पर अखिल भारतीय हिन्दी कवि सम्मेलन ऑन लाइन आयोजित किया गया था जिसमे देशभर से 75 कवियों ने हिस्सा लिया था । इन कविताओ मे से चुनी हुई कविताओ की ई पुस्तक पब्लिश करना चाहा जो आप को पसंद आएगा।
डॉ. गुलाब चंद पटेल