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नेता एक रूप अनेक
नेता एक रूप अनेक

नेता एक रूप अनेक

 
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डॉ. प्रताप मोहन 'भारतीय' जी का सन 2004 में प्रथम काव्य संग्रह "उजाले की ओर" का प्रकाशन हुआ । उसके बाद पारिवारिक और व्यवसायिक गतिविधियों में व्यस्त होने के कारण अपना दूसरा संग्रह प्रकाशित नहीं करा सका । लेखन तो सतत चलता ही रहा । कोई भी काम तभी पूरा होता है जब हम उसको करने का संकल्प लेते है इसलिये आपने दूसरे काव्य संग्रह को जल्द प्रकाशित कराने का लक्ष्य रखा और परिणाम आपके समक्ष है ।

यह व्यंग्य संग्रह नेता और राजनीति के ईर्द-गिर्द घूमता है । जिन व्यक्तियों को हम जन सेवा के लिए चुनते हैं। वो जब चुनकर आते है तो जानलेवा कार्य करते है। समाज के विकास की जगह खुद के विकास का ध्यान रखते है। आम आदमी की परेशानियों से उनका कोई नाता नहीं है उनका एक मात्र उद्देश्य है साम, दाम, दंड, भेद सभी के द्वारा धन का अर्जन करना। पैसे के आगे उनके सारे सिद्धांत एवं आर्दश खत्म हो जाते हैं।उन्हें केवल कुर्सी की लालच होती है उसके लिए वो दल भी बदलने के लिए तैयार रहते हैं।

आजकल राजनीति का स्तर दिन-ब-दिन गिरता जा रहा है। राजनीति कीचड़ की कोठरी के समान है जो इसमें प्रवेश करता है, कीचड़ उस पर जरूर लगती है और उसका दामन दागदार हो जाता है मेरा यह मानना है कि एक ईमानदार व्यक्ति के लिए एक सफल नेता बनना बहुत चुनौतीपूर्ण है। देश के 50 प्रतिशत से ज्यादा पर आपराधिक मुकदमें दर्ज है।

नेताओं से अनुरोध है कि उन्हें जिस कार्य के लिए चुना जाता है उस कार्य को ईमानदारी से करें और जनता जनार्दन की समस्याओं का समाधान करें और अपने क्षेत्र के विकास की योजना बनाएं तभी वे सच्चे नेता कहलायेंगे। आशा है कि यह काव्य संग्रह आपको आवश्य पसंद आयेगा। इस पुस्तक के बारे में आपकी प्रतिक्रिया का मुझे इंतजार रहेगा । धन्यवाद सहित

लेखक डॉ. प्रताप मोहन "भारतीय" 308, चिनार -ऐ-2 ओमेक्स पार्क वुड- बद्दी 173205 (HP) मोबाईल- 9736701313 Email- drpratapmohan@gmail.com

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